तुरत फुरत + Century
सुबह सुबह रचनात्मक और पचनात्मक कब्ज हो गई. पाखाने में जो बैठ कर दिमाग में आया वो यहाँ चैंप रहा हुँ. मेरे आज १०० पोस्ट हो गऍ !!
ठन्डी की सुबह फिरोजशाह कोटला मैदान पर औस
पवेलियन में बैठ कर चैपल दे रहा सबको धौंस
दे रहा सबको धौंस की खबरदार जो प्रेस से बोले
रन बने ना बने जो मुँह खोला वो हल्ले हो ले.
हल्ले हो ले वो भी जो पठान को बेट्समेन ना माने
गाँगुली का नाम लेने वाला भी अपनी शामत जाने.
अपनी शामत जाने खान गम्भीर और नेहरा
कैफ का देखना नही मुझे कुछ बरसों ं तक चेहरा.
चेहरा देख देख जिनका उम्मीद लगाऍ काली
वो द्रविड़ बन बैठे पुतले वैंगसरकर बजाऍ ताली.
ठन्डी की सुबह फिरोजशाह कोटला मैदान पर औस
पवेलियन में बैठ कर चैपल दे रहा सबको धौंस
दे रहा सबको धौंस की खबरदार जो प्रेस से बोले
रन बने ना बने जो मुँह खोला वो हल्ले हो ले.
हल्ले हो ले वो भी जो पठान को बेट्समेन ना माने
गाँगुली का नाम लेने वाला भी अपनी शामत जाने.
अपनी शामत जाने खान गम्भीर और नेहरा
कैफ का देखना नही मुझे कुछ बरसों ं तक चेहरा.
चेहरा देख देख जिनका उम्मीद लगाऍ काली
वो द्रविड़ बन बैठे पुतले वैंगसरकर बजाऍ ताली.