Sunday, May 27, 2007

खिचडी

वापसी पर तुरत फुरत तैनात स्वीट सिक्सटिन जीतु भैया (इनके सोलह ब्लाग जो ह)ैं ने याद दिला दिया कि काकटेल रेसिपी तो रह ही गई है. कोई बात नही, मधुशाला के मतवालों के लिये पोस्ट के अन्त में बहेगी हाला.
डाक्टर साहब भी मटरगश्ती करते हुऍ चिठ्ठे पर आये. इनके पोस्ट पर जो लाईनें लगी हैं
"छोटा कर के देखिये जीवन का विस्तार ।
आँखो भर आकाश है बाँहों भर संसार ॥"
मुझे काफी सोचने वाले खतरनाक मूड में ले गई है. जब भी मैने सोचा है कुछ जबरदस्त हुआ है. जैसे मेरी पुरी थिसिस का सार ऍक सोच में ही निकला था. या फिर अमेरिका जाने का ईरादा भी सिर्फ ऍक दोपहर की सोच का निर्णय था. देखो आज क्या निकलता है मेरी सोच से.

कुछ दिनों पहले मैने फ्रीकोनोमिक्स नामक किताब चाटी. बहुत मजेदार हट के सोचा है. स्टेटिसटिक्स के साथ कामन सेन्स को जोड कर जो चिन्तन मन्थन किया है वो सराहनीय ही नही प्रेरणादायी भी है. जरुर पडिये कहीं न कहीं कुछ तो चमकेगा ही. जैसे मुझे लगा की फिनिक्स में अगर तीन ट्रेनें डाल दिये जाऍं तो ट्रेफिक समस्या काफी हद तक निपट जाऍगी.

आज कल मैं बौद्घ धर्म पर किताब पड रहा हुँ. मेरा मानना है की धर्म की सोच की गहराई उस समय के समाज के मानसिक स्तर का सीधा माप है. वैसे में नासतिक हुँ तो मेरा रुझान सिर्फ फिलोसोफी के छात्र के रुझान समान है, जीवन में आत्मसार करने लायक ऍक सम्पुर्ण सोच कुछ अभी तक मिली नही है। तो जगह जगह से उठाई और बनाई अधकचरी खिचडी.

चलिये बौद्घ धर्म से काकटेल तक.

१ भाग आइरिश विस्की
१.५ भाग आईरिश क्रीम

बर्फ के उपर विस्की ग्लास में डालें और टुन्न होने तक ना पीयें.

Saturday, May 26, 2007

वापस

भीमसेन साहब के राग विहग को सुन कर मन कुलबुलाया, ऊगलियोँ में कुछ बैचेनी सी महसुस हुई और लगने लगी दनादन मार की-बोर्ड पर. चलो हम वापस आ गऍ. अपनी मात्रा की गलतियोँ, सोच की अपरिपक्वता लिये हुऍ. पढने का मन हो तो पढो, नही तो आगे बढो. जैसे चिठ्ठा जगत के पितामह कह दिये "हम तो जबरिया लिखबे यार हमार कोई का करिह" तो हम भी ईसी भाव से लिखेंगे. किसी के मन में मात्रादोष ठीक करने का कीडा हो तो हमारे बचपन के हिन्दी के मास्टर का नम्बर भेज देंगे. सभी भारी भरकम बुजुर्ग जनों को साधुवाद. वैसे कोई बताऍ लाल साहब ईतने भारी हैं, कम्बख्त उडन तश्तरी कैसे उडती होगी.

आज तो वापसी करी है, जरा सुस्ता लुँ यारो बहुत दिनों के बाद लौटा हुँ भाटबाजी की दुकान में. रफत में आने में समय तो लगेगा.

Saturday, December 09, 2006

सेब की लूट

सेब बोले तो "ऍप्पल". क्या है की हमें बहुत दिनों से चुल हो रही थी की क्यों ना "आई तुझा आशिर्वाद" बोल के आईपोड ले लिया जाऍ. ३० गिग के गाने बजाने में तो मेरा पूरा गोविन्दा करिश्मा का डान्स कलेक्शन आ जाऍगा. तो मैं पहुँच गया ऍप्पल स्टोर पर. मानना पड़ेगा बहुत प्यार से पेश आते हैं दुकान वाले. आप जाईऍ सोनी के स्टोर में जनाब. वहाँ पर तो पीऍसपी का डब्बा भी खोलने को तैयार नही हैं. सेब की दुकान पर बढिया गाना सुनिऍ बकैती करिये सब झकाझक. बिलकुल भारत में साड़ी की दुकान की याद आ गई. वैसे पुरुष "जी जी मैडम यह बनारसी देखिऍ" कह कर जब पल्लु खुद पर लगा कर दिखाते हैं तो बहुत गुड़ लगते हैं. खैर गुड़ छोड़ कर वापस सेब पर लौटा जाऍ. तो हमने आई पोड लिया २४९ में. पर नही जनाब साथ में ऍक केस भी लेना होगा. केस की कीमत ३५ ! खैर वह भी लिया. पर अडापटर तो चाहिऍ ना की सिर्फ कम्पयुटर से ही चार्ज करेंगे. अडापटर तो साथ में देना था. वेरी चीप! वह भी मिला १५-२० में. हमने पूछा की भाई बैटरी मिलेगी दूसरी. बोले नही दादा. वह तो आपको हर ४०० चार्ज के बाद ऍप्पल के पास भेजना पड़ेगा. वह दुसरा आई पाड भेजेंगे. हायँ !! मलतब ! जै का बात हुई ! तो पोस्ट का खर्चा. वह भी हम ही. चलो फ्री में तो बदल दोगे ना. नही ! कितने क्या पूरे ६२ !! मार दिया दद्दा !! हर साल दो साल में ७० का चूना लगाना पड़ेगा. हमने तुरंत वहीँ से अपने ब्रोकरेज पर कन्नेकट मारा और दनादन सेब के स्टाक खरीद लिये. जय हो स्टीव जाब की. कमाल का जाब करा है. निरन्तर कमाई करी जाऍगी. फिर जब वापस किया जाऍगा तो कुछ रीबेट दे कर नया माडल बेच दिया जाऍगा.

वैसे जितने भी लोग आईपाड शफ्फल लेने के मूड में हों सोच लें. ८० का शफ्फल साल भर की बैटरी. नई बैटरी ६५ की. मतलब साल भर के ही काम का रहा शफ्फल. विक्लप ढेरों रहे शफ्फल के आइरिवर, सेनडिस्क आदि के.

Saturday, October 28, 2006

तुरत फुरत + Century

सुबह सुबह रचनात्मक और पचनात्मक कब्ज हो गई. पाखाने में जो बैठ कर दिमाग में आया वो यहाँ चैंप रहा हुँ. मेरे आज १०० पोस्ट हो गऍ !!

ठन्डी की सुबह फिरोजशाह कोटला मैदान पर औस
पवेलियन में बैठ कर चैपल दे रहा सबको धौंस
दे रहा सबको धौंस की खबरदार जो प्रेस से बोले
रन बने ना बने जो मुँह खोला वो हल्ले हो ले.
हल्ले हो ले वो भी जो पठान को बेट्समेन ना माने
गाँगुली का नाम लेने वाला भी अपनी शामत जाने.
अपनी शामत जाने खान गम्भीर और नेहरा
कैफ का देखना नही मुझे कुछ बरसों ं तक चेहरा.
चेहरा देख देख जिनका उम्मीद लगाऍ काली
वो द्रविड़ बन बैठे पुतले वैंगसरकर बजाऍ ताली.

Friday, October 27, 2006

नऍ ताजे फोटु

नऍ ताजे फोटु डाले हैं फ्लिकर पर. सेनफ्रानसिस्को ब्रिज के, नागर वाले बाबा के, जबलपुर के भेड़ाघाट के और विशाल गढ्ढे के. Flickr Photos

Monday, October 09, 2006

रिडिफ्फ की बकवास पत्रकारिता

Rediff news मुख्य समाचार है की भारतीय प्रवासी संख्या १५० प्रतिशत हो चुकी है अमेरिका में. अन्दर पढा तो मालुम पढा की बात सिर्फ वाशिंगटन की हो रही है. क्या बकैती है. बिलकुल दैनिक बकवासकर के स्तर की पत्रकारिता है रिडिफ्फ की.
Check out Game Runner !! Boy am i stoked ! This will be the solution to obesity people, you first heard it from Kali's Mouth. Gaming combined with treadmill. Wow !!! fantastic.

Sunday, October 08, 2006

कानपुरिऍ नोट करें

दुनिया की सातवीँ सबसे प्रदुषित नगर का खिताब मिला है कानपुर को. खबर यहाँ देखें.