बहुत दिनों के बाद
जी मसरुफियत नहीं थी कोई लाचारी भी नही थी कोई वजह नही थी, बस युँ ही नही लिखा कुछ दिनों से अभी दिल भरा सा है मानों वो ज्वार भाटाऍ मेरे दिल में समा गईं हैं खैर यह कवरैज मिडिया पर ही छोङ देता हुँ
आज कल मैं पङ रहा हुँ Autobiography of a Yogi - लेखक परमहँस योगानन्द अगर फुरसत हो तो जरुर पङें
नऍ वर्ष की सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाऍ:
सर्वे भवन्तु सुखीन् सर्वे सन्तु निरामयः
सर्वे भद्राणी पश्यन्तु मा फलेषु कदाचनः ॥
बैठे बैठे बार बार यह मन में घूम रहा हैः
आप से मिल के हम कुछ बदल से गऍ
शेर पङने लगे, गुनगुनाने लगे
पहले मशहूर थी अपनी संजिदगी
अब तो जब देखो तब मुस्कुराने लगे
आज कल मैं पङ रहा हुँ Autobiography of a Yogi - लेखक परमहँस योगानन्द अगर फुरसत हो तो जरुर पङें
नऍ वर्ष की सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनाऍ:
सर्वे भवन्तु सुखीन् सर्वे सन्तु निरामयः
सर्वे भद्राणी पश्यन्तु मा फलेषु कदाचनः ॥
बैठे बैठे बार बार यह मन में घूम रहा हैः
आप से मिल के हम कुछ बदल से गऍ
शेर पङने लगे, गुनगुनाने लगे
पहले मशहूर थी अपनी संजिदगी
अब तो जब देखो तब मुस्कुराने लगे
1 Comments:
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्
ईंट, रोड़ा, आदि इत्यादि।
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