अबे चपङ के नाती !
आज मैंने बहुत दिनों के बाद ॠषिकेष मुखर्जी दिवस मनाया | गोलमाल देखी , अँगूर आधी देखी | बहुत मजा आया | आज खूबै काम का ऍकटिँग किया | मालिक का पूरा पैसा वसूल हफ्ते भर का | अब चार दिन ठलूआबाजी |
बंबई से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो |
रात को खाओ पीयो, दिन को आराम करो |
नही भाई मिथुन दादा या बप्पी दा का कोई कसूर नही | सही में मेरा दोस्त बंबई से आ रहा है |
अभी मेरे दोस्त के साथ पाप नगरी वेगास जाने का कार्यकृम बन रहा है | अबकी शायद वहीँ मनेगी किर्समस | तौबा पर वहाँ जूआ नही खेलूँगा अबके | उस याञा का विस्तृत वर्णन कभी फुरसत में लिखुँगा |
आज खाना बनाया गया | फिर कचरा पेटी को खिलाया गया |
जिसका काम उसी को साझे,
और करे तो डँका बाजे |
जब थी नही बस की,
तो ली कयूँ दस की |
जब नही था ... मैं दम,
तो कयूँ रखे मैदान में कदम |
ईत्यादि अनेक विचार दिमाग में दौङे
फिर दना दन दौङ लगाई,
बीन बरिटों खा चैन की बँसी बजाई |
बंबई से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो |
रात को खाओ पीयो, दिन को आराम करो |
नही भाई मिथुन दादा या बप्पी दा का कोई कसूर नही | सही में मेरा दोस्त बंबई से आ रहा है |
अभी मेरे दोस्त के साथ पाप नगरी वेगास जाने का कार्यकृम बन रहा है | अबकी शायद वहीँ मनेगी किर्समस | तौबा पर वहाँ जूआ नही खेलूँगा अबके | उस याञा का विस्तृत वर्णन कभी फुरसत में लिखुँगा |
आज खाना बनाया गया | फिर कचरा पेटी को खिलाया गया |
जिसका काम उसी को साझे,
और करे तो डँका बाजे |
जब थी नही बस की,
तो ली कयूँ दस की |
जब नही था ... मैं दम,
तो कयूँ रखे मैदान में कदम |
ईत्यादि अनेक विचार दिमाग में दौङे
फिर दना दन दौङ लगाई,
बीन बरिटों खा चैन की बँसी बजाई |
5 Comments:
जनाब, आप | क्यों चाँपते हैं, । चाँपिए न।
hain ? samajh nahi aaya alokji aap kya keh gaye ?
इस पन्ने का View->Encoding->ISO-8859-1 करके देखिए। आपको | फिर भी दिखेंगे। ऐसा इसलिए है कि देवनागरी का पूर्ण विराम(।) पाइप अक्षर(|) से भिन्न है।
धन्यवाद आलोक जी । क्या पारखी नजर पाऍ हैं । अभी तख्ती का नया नया लिखाङी हूँ, कुछ मैपिंग नही आती हैं ।
अपना तो फन्डा ही दूसरा है, कौनो "|" नही, बस कौमा(,) और फुलस्टाप (.) लगा देते है, किसी को ज्यादा शिकायत ना हो इसलिये कई बार....... बार बार......लगातार लगाते है.
इसे बोलते है तू कौन खांमखा, क्यों पिले....बस हाँबी है......अब आप दो ज्ञानियों के बीच मे टपकने वाले को क्या कहेंगे?
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