Monday, December 06, 2004

Bhery Beeji Day

आज का पूरा दिन गया निठल्लेपन्ती में | आज सुबह का सुहाना मौसम देख कर मन तो करा वापस रजाई ओङ कर खर्राटें बजाऊँ | खैर किसी तरह पहुँचे काम पर १ घन्टा देरी से | १ घन्टा गया मेल मेल खेलने में | पुरजोर बकैती करी चैट पर | सारे अखबार चाट डाले | फिर समय हो ही गया भोजनावकाश का | पूरे २ घन्टे के बाद वापस घुसे दफ्तर में डकारें मारते हूऐ | पूनः मेल मेल और अखबार का सिलसिला| फिर काफी | फिर हरे पत्ते पर १ घन्टे का चिन्तन मनन बाकी बँधुआ मजदूरों के साथ | अब इतने गम्भीर वार्तालाप के बाद कुछ आराम तो अतिआवश्यक है | सो थोङा समय गुलाम अली साहब के साथ बिताया | फिर थोङी गैरत जागी | ८ मिनिट काम कर ही लिया | फिर सि.इ.ओ. साहब के बारे में सोचा और पाया की अगर वह ५ मिनिट सुस्ताऍ तो कम्पनी का ऊतना ही नुकसान है जितना मेरा हफ्ते भर की हरामखोरी से | बस सर ऊठाया गर्व से और निकल लिऐ खेलने के लिऐ | आखिर इतने बिजी दिन के बाद रिलेकसेसन भी होना चाहिऐ ना !

कोई हद नही है कमाल की
कोई हद नही है जमाल की

5 Comments:

Blogger Jitendra Chaudhary said...

आप तो बहुत बिजी रहते है भाई,
ब्लाग लिखने के लिये समय कैसे निकालते हो...

11:06 AM  
Blogger इंद्र अवस्थी said...

इतना तनाव भरा दिन बिताने के बाद अब दो तीन दिन छुट्टी लेकर काम कर डालो नहीं तो छुट्टियाँ पड़े-पड़े बरबाद हो जायेंगी. थोड़ा चेंज हो जायेगा तो अच्छा लगेगा.

12:18 PM  
Blogger आलोक said...

वाह आप तो मेरे जुड़वाँ भाई लगते हैं। बचपन में किसी मेले में गुम तो नहीं हुए थे आप?

11:24 PM  
Blogger अनूप शुक्ल said...

इस तरह की व्यस्तता के लिये ही हमारे दोस्त कहतेहैं--क्या बात है बहुत बिजी हो .कुछ काम-धाम नहीं है क्या?पहले मैं एतराज करता था.अब लगा वे गलत नहीं पूंछते हैं.

1:17 PM  
Blogger Jitendra Chaudhary said...

ऐसी स्थिति के लिये दोस्त लोग पूछते हैः
Working Hard?

or
Hardly Working?

ya

Busy without work

9:51 PM  

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