Bhery Beeji Day
आज का पूरा दिन गया निठल्लेपन्ती में | आज सुबह का सुहाना मौसम देख कर मन तो करा वापस रजाई ओङ कर खर्राटें बजाऊँ | खैर किसी तरह पहुँचे काम पर १ घन्टा देरी से | १ घन्टा गया मेल मेल खेलने में | पुरजोर बकैती करी चैट पर | सारे अखबार चाट डाले | फिर समय हो ही गया भोजनावकाश का | पूरे २ घन्टे के बाद वापस घुसे दफ्तर में डकारें मारते हूऐ | पूनः मेल मेल और अखबार का सिलसिला| फिर काफी | फिर हरे पत्ते पर १ घन्टे का चिन्तन मनन बाकी बँधुआ मजदूरों के साथ | अब इतने गम्भीर वार्तालाप के बाद कुछ आराम तो अतिआवश्यक है | सो थोङा समय गुलाम अली साहब के साथ बिताया | फिर थोङी गैरत जागी | ८ मिनिट काम कर ही लिया | फिर सि.इ.ओ. साहब के बारे में सोचा और पाया की अगर वह ५ मिनिट सुस्ताऍ तो कम्पनी का ऊतना ही नुकसान है जितना मेरा हफ्ते भर की हरामखोरी से | बस सर ऊठाया गर्व से और निकल लिऐ खेलने के लिऐ | आखिर इतने बिजी दिन के बाद रिलेकसेसन भी होना चाहिऐ ना !
कोई हद नही है कमाल की
कोई हद नही है जमाल की
कोई हद नही है कमाल की
कोई हद नही है जमाल की
5 Comments:
आप तो बहुत बिजी रहते है भाई,
ब्लाग लिखने के लिये समय कैसे निकालते हो...
इतना तनाव भरा दिन बिताने के बाद अब दो तीन दिन छुट्टी लेकर काम कर डालो नहीं तो छुट्टियाँ पड़े-पड़े बरबाद हो जायेंगी. थोड़ा चेंज हो जायेगा तो अच्छा लगेगा.
वाह आप तो मेरे जुड़वाँ भाई लगते हैं। बचपन में किसी मेले में गुम तो नहीं हुए थे आप?
इस तरह की व्यस्तता के लिये ही हमारे दोस्त कहतेहैं--क्या बात है बहुत बिजी हो .कुछ काम-धाम नहीं है क्या?पहले मैं एतराज करता था.अब लगा वे गलत नहीं पूंछते हैं.
ऐसी स्थिति के लिये दोस्त लोग पूछते हैः
Working Hard?
or
Hardly Working?
ya
Busy without work
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