Wednesday, December 01, 2004

जीवन सफल हुआ !

जीवन सफल हुआ !

आज मेरे आनंद की सीमा ना पूछो ! जो सुख पहले पयार की पहली चिठठी मै नही मिला वो बलाग पर पहली टिपपणी पा कर महसूस किया | दुनिया black and white से technicolour हो गई है | आज तो जलसे मनाने का दिन है | मानो किसी जनम जनमांतर के छडे को विशव सुदंरी का सामिपय मिल गया हो |

आज का २ लाईनाः

अमीर की जिनदगी बिसकुट और केक पर
डायवर की जिनदगी कलच और बरेक पर

1 Comments:

Blogger आलोक said...

समझ सकता हूँ यह आह्लाद। मेरा चिट्ठा कितने महीनों बिन टिप्पणी के धूप में सूख रहा था, अभी भी याद है।

7:55 PM  

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