Saturday, February 12, 2005

No title

आज मौसम बडा बेईमान है, आया हुआ ऐक तुफान है | आज कल ऐसी घनघोर वर्षा हो रही है की रेगिस्तान में भी हरियाली छा गई है | ऐसे मगरमच्छी मौसम में सप्ताहन्त का सवासत्यानाश कर दिया मेरी कार ने | बस किसी पुराने रिकार्ड की तरह अटक गई घरघराते हुऍ | लगा लो ऍढ़ी चोटी का जोर नही चलुँगी | हर देसी की तरह मेकेनिकगिरी करना अपने सटेन्डरड या साफ कहें तो बस की नही है | लगने वाला २०० - ३०० का चूना है , पर आज मौसम बडा बेईमान है | अब मर्ज मेकेनिक ईतने गिनाऍंगे की समझ नही आऍगा की ससुर यह गाङी अब तक चल कैसे रही थी |
नई ताजी यह है की हरामखोरी को पूर्णविराम लग गया है | हमारे कर कमलों द्वारा लिखे गऍ ऐक नायाब सोफ्टवेयर को ऐक अदद कस्टमर मिल ही गया है | मतलब हमारी शामत आ गई है उसके वयक्तिगतकरण तथा परिवर्तन मैं | हमने वह सोफ्टवेयर बहुत खुन्नस में लिखा था और कई बार हँसे थे की अगले मजदुर की बारह बज जाऐगी | अब सुधारते हुऍ छटी का दुध याद आ गया है | पलट कर लगा है जोर का झटका धीरे थे |
हमारे देश पलायन पर अर्ध विराम लग गया है ईस नऍ घटनाकृम से | सोचे थे की १ - २ वर्ष युरोप तथा खाङी मे रहैं पर अभी फिर टल गया है |

2 Comments:

Blogger eSwami said...

अब भुगतो! मुझे तो ये ब्लाग-बाजी मरवायेगी किसि दिन - आज दफ़्तर जा कर पिछले पाप धोने हैं - डेड-लाईन सिर पे आ गई है.

11:27 AM  
Blogger Jitendra Chaudhary said...

काली भाई,
आपकी गूगल ग्रूप की सदस्यता को मंजूरी दे दी है,
आप लागिन करके देखें और किसी समस्या आने पर सम्पर्क करें.

10:52 AM  

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