लो मै॓ आ गया.
काफी दिनो॓ के बाद आज लिखने का अवसर मिला है. अभी कुछ दिनों से मैं घर बदली में व्यस्त था. फिनिक्स की गरमी से उठ कर मिनिसोटा की सरदियों में. काफी उदास मौसम है. कडाके की ठंड है. पर क्या करो लालच है नौकरी का जो खीँच लाया है. जो लोग बरफ में नही रह रहे हैं उन सभी समझदारों को मेरा सलाम. कसम से किस बेवकूफ ने सोचा होगा ईतनी ठंड में बस्ती बनाने का. अगर कभी कार बंद हो गई ठंड में तो लगता है एंबुलैंस बुलानी पडेगी.
हर तरफ बरफ ही दिखाई देती है. सारा शहर बरफ से पटा पडा है. किसी भी चीज पर खुला हाथ रख दिया तो बारह बज जाती है.
बाकी बाद में, कुछ पेट में दाना डाला जाए.
हर तरफ बरफ ही दिखाई देती है. सारा शहर बरफ से पटा पडा है. किसी भी चीज पर खुला हाथ रख दिया तो बारह बज जाती है.
बाकी बाद में, कुछ पेट में दाना डाला जाए.
2 Comments:
वैलकम बैक
यार अधूरी पोस्ट लिखते हो, लगता है सर्दी मे तुम्हारे भी बारह बज गये है। अमां यार सर्दी का मौसम है एक आध काकटेल के बारे मे ही लिख देते।
क्यों जीतु भाई, तमने के फ़रक पड़े है, तम तो कुवैत की गर्मी मा मजा कर रहे हो, सर्दी मा ऐसी की तैसी कईसन होत है, ई हमसे पूछो, इधर दिल्ली का तापमान भी लगभग 0'C हो ही गया था!! ;)
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