Tuesday, December 27, 2005

क्या बात है, आने वाली नए साल की पहली रात है.

यह प्रविष्ठी है मेरे पिछले साल की प्रमुख गतिविधियों का लेखा-जोखा. साल शुरु हुआ था एक नए काम से. ८-९ महीने का अनुबंध था जो मित्र के बार - २ बोलने पर ले लिया था. काम रुचिकर रहा, दोस्तों के साथ काम करके मजा भी बहुत आया, सीखने भी बहुत कुछ मिला. अभी - २ नयी नौकरी मिल गई है जिसमे फिर कुछ पुराने यार दोस्त मिल रहे हैं. कार्य एकदम नए क्षेत्र में है. कुछ नया करने - सीखने को मिलेगा ऐसी उम्मीद है.

बेटा ईस साल और बढा हो गया है. साल की शुरुआत में चिन्ता थी की ३ साल का हो गया और फर्राटे से बोल नही रहा. अब समस्या है की चुप ही नही होता. सुबह से शाम तक लगातार बोलता रहता है. मेरा बेटा पैदाईशी टीनऐजर है. हर बात की वजह जरुरी है समझना. बहस में अव्वल नम्बर. हर मसले को सही से बच्चा लाॉॅजिक में समझाओ नही तो हजार सवाल झेलो. हमसे ईस साल झेला नही गया तो हमने बता दिया की सैंटा असली जिंदगी में नही है. सुन कर जितना सुकून उसे मिला मानो गया में बुद्ध को महाप्रयाण मिल गया हो. जहाँ सुन्दर बालाएं दिखीं छोटे कपङों में वहीं पर बालक पास जाने का भरसक प्रयास शुरु कर देता है. ४ में यह हाल है १४-१५ में क्या होगा. माताजी के स्वास्थय में इस वर्ष काफी सुधार आया. यहाँ आकर रहीं ६-७ महीने तो मन प्रसन्न रहा. श्रीमती जी के नसीब में ईस साल भी एक बार साल में मेरे हाथ का चाय या खाना मिलने का सपना अधूरा रह गया. मेरा मानना है की
जिसका काम उसी को साझे
और करे तो डंका बाजे
पहले ही फैल जाओ तो कभी चान्स ही ना छोङो. आशीष ध्यान रखें.

घूमने में ईस साल यूटाह और कोलराडो की हसीन वादियाँ और पहाङ, लोस एन्जलस का डिजनीलैंड, लास वैगास के केॅसीनो और शो, नयूयोर्क की क्रिसमस की चकाचौंध, सैन फ्रांसिसको के पास के विनयार्ड की सैेर, ग्रांड कैनयन के विशाल गढ्ढे का दर्शन प्रमुख गतिविधियाँ रहीं. भारत जाने का कार्यक्रम तो अब २००८ में ही बनेगा.
पुरानेॅ शौक में क्रिकेट बरकरार रहा. शतरंज और सु-डोकु का शौक भी चर्रा रहा है. सेहत के लिए अब टैनिस में भी मन लगा रहा हुँ. दिन में २४ घंटे ही क्यों होते हैं?
ब्लागिंग का चस्का और बढ गया है. भारतीय मूल के लेखकों के भेजे से निकली खिचङी पढ कर खबरें, नए विचार, मनोरंजन सभी मिला. बहुत किस्मत की बात लगी इतने सारे नए मित्रों का मिलना. बेबाक विचारों का आदान-प्रदान, नोंक-झोंक सभी कुछ आनंददायी रहा.
सेहत के मामले में वर्ष कुछ सही नही रहा. कोहनी में चोट लगने के कारण २-३ महीने दर्द रहा. वजन भी सेनसेकस के समान बढा. पर जब खेलना शुरु तो वजन भी कम होने लगा. बाबा रामदेव की सी.डी. मित्र से मिल गई है जिसके साथ १ तारीख से नियम से कसरत करने का ईरादा है.

आज थकान हो रहीं है. कल आगे लिखुँगा. डायरीनुमा प्रविष्ठी है, बोर हुए तो क्षमा.

3 Comments:

Blogger Pratik Pandey said...

कतई बोर नहीं हुए, आगे की बात कहिए।

2:57 AM  
Anonymous Anonymous said...

काली भाई,

हम आपकी बात का बिल्कुल ध्यान रखेंगे. गांठ बांध ली है.

आशीष

4:48 AM  
Blogger Laxmi said...

काली भाई,

बढ़िया लिखा है। हमारी शादी को ३१ साल होने वाले हैं और श्रीमती जी को हमारे हाथ का बनाया खाना ३१ बार से अधिक नहीं मिला होगा। नया साल मुबारक हो।

लक्ष्मीनारायण

4:08 PM  

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