Tuesday, December 20, 2005

वयस्तता का मौसम

आजकल वयस्तता का मौसम है. काम ईतने सारे सिर पर आ पङे हैं की साँस लेने की भी फुरसत नही है. और सारे के सारे काम जो हैं सो बे-सिर-पैेर के. साल के आखिरी में टैक्स प्लानिंग के काम, घर की मरम्मत के काम ईत्यादि. जमाने भर की चुलबाजी और मोल ले रखी है. ऊपर से नौकरी पर भी क्यों कर दिसंबर में काम का बोझ बढ गया है कुछ समझ नही आ रहा है. जनता जनार्दन भी लपक के क्रिसमस पार्टी दिए जा रही है सो उस में मुँह-दिखाई करके आना भी जरुरी है. बोलो की नही आ पाीउँगा तो करारा मुख-तमाच मिलता है "हाँ भाई,व्यस्त हो. सही है. बढे लोग हो हमारा क्या है."
ईसी वजह से पिछले कुछ दिनों में रद्दी - कचरा मानसिक कै नही कर पा रहे हैं चिठ्ठे पर. लगता है यह वयस्तता "नए साल का पहला जाम .. आप के नाम" के बाद ही कुछ कम होगी.

ईन दिनों पुन: रवि शंकर जी की पुस्तकें पढना शुरु करी हैं. सही बताऊँ ज्यादा कुछ समझ में नही आती मेरे. पर पढने से नींद बहुत जल्दी और बहुत गहरी आती है. काफी सारा समय मेरा आजकल सु डोकु में जा रहा है. बहुत रोचक और समय बरबाद करने वाला खेल है. जरुर खेलिएगा एक बार. साथ ही आजकल में चैस सिखने की भी कोशिश कर रहा हुँ. आफिस में बैठ कर कम्पयुटर देव के साथ खेलता रहता हुँ. आपको लगता होगा मुफ्त की तनख्वाह मिल रही है पर काम भी बहुत है सो लंच-काल में ही यह सब चल रहा है. ईमान से ८ घंटे काम कर रहा हुँ. बहुत ज्यादा होता है यह कम्पयुटर की दुनिया में.

रेसिपी:
अंडा - नोग लातें

1 कप अंडा नोग :)
1 चम्मच रम
1 चम्मच विस्की
1 कप गरम काफी
1/3 कप काफी लि-कोर या 1/3 कप बेली आईरिश क्रीम

सब साॉथ मिलाअो, जम कर फैंटो और छक कर पियो, मगर दोस्तों के साथ.

2 Comments:

Blogger Kaul said...

व्यस्त + वयस्क = वयस्त ? :-)

9:12 AM  
Blogger Kalicharan said...

Mahavir ji kya karun chess is so addictive, control hi nahi rehta. hindu dharam main to karaodo bhagwan hai hum aap 2 aur sahi.

11:07 PM  

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