बक की झक या झकाझक बक
नींंद आती नही सारी सारी रात. रात के १ बज रहे हैं. ऊल्लु भी सो गए हैं, यकीन कीजिए एक को चैट पर संदेश छोङा था. हम काफी गंभीरता से सोच कर और ग्यानी जनों के साथ गुढ चिंतन कर के ईस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं की यह समय अनाप सनाप मौलिक मुख पादन, प्रचंड मानसिक रस-स्वादन, विस्मयकारक सोच विचारन हेतु एकदम उपयुक्त समय है. इसकी वजह क्या हो सकती है, इस पर सोचने का भी इस से बढिया समय नही हो सकता. मेरा मत है की दिमाग १६ घंटे जगने के बाद ज्यादा गरम हो जाता है तथा अलौकिक ग्यान गंगा का प्रवाह आसान हो जाता है. जब पेट में सही मात्रा में पित्त का निर्माण हो चुका होता है तो शरीर के अंदर के रसायन अपनी नियमित स्थिति छोङ कर भिन्न - भिन्न प्रकार के गठ-बंधन बना लेते हैं ठीक वैसे जैसे की कांग्रेस - मार्कसवादी गठ-बंधन है. शारिरिक रसायनों की ईस दुर्लभ स्थिति तथा मस्तिष्क के बढे हुए तापमान से जो मानसिक लावा निकलता है वही सही मायने में एक इंसान और रिपबलिकन के बीच का अंतर स्पष्ट करता है.
तो ईस समय मेरे मस्तिष्क में घूम रहा है यह विचार की कम्पयुटर के सिद्धांतो में और कई सनातन धार्मिक विचारों मे कितना मेल है. गीाता में भगवान कृष्ण ने जब अपना संसार संग्रहित करने वाला विराट अस्तित्व जब अर्जुन को दिखा अनुग्रहित किया तब वो बोले की सबसे सुक्षम कण से लेकर संपुर्ण ब्रमांड वही हैं. ईस सिध्दांत को आप आसानी से समझ सकते हैं अगर आपने रिकरसिव तकनीक को समझा हो. रिकरशन लगाएं सबसे छोटे कण पर तो ब्रमांड बना लेंगे कुछ प्रयोगात्मक छेङाछाङी से. नही तो फरेकटल तकनीक से सोच कर देखें और एक सरल शुरुआत के कणों को बार बार प्रयोग कर आप जटील कार्यप्रणाली बना लेंगे. इनहेरिटेंस से बेहतर तरीका है समझने का की सभी जीव मौलिक रुप में एक ही हैं बस बाह्य रुप में भिन्नता है. जैसे किसी भी ओबजेक्ट को आप निखार दें इनहेरिटेंस से. आखिर सृष्टि के चक्र को देखें तो हर स्तर पर एक चक्र पाएंगे जैसे कोई विशाल फाईनाीईट स्टेट मशीन चल रही है जिसके हिस्से स्वयं कई भिन्न फाईनाीईट स्टेट मशीन हो जिनका मूल हारमोनिक आपकी साँस समान किसी सिस्टम घङी से तालमय बना के चल रहा हो.
खैेर बहुत हुआ अचानक विचार स्पनदन मदिरापान के लिए यह देखें मेरी नई मारगरिटा रेसिपी
3 भाग टकीला
1/2 भाग ट्रीपल सेक
3 भाग नींबु का रस
1 भाग संतरे का रस
2 भाग स्टराबेरी का रस
1/2 चम्मच अनार का रस
शेक करें और छक कर पीयें.
तो ईस समय मेरे मस्तिष्क में घूम रहा है यह विचार की कम्पयुटर के सिद्धांतो में और कई सनातन धार्मिक विचारों मे कितना मेल है. गीाता में भगवान कृष्ण ने जब अपना संसार संग्रहित करने वाला विराट अस्तित्व जब अर्जुन को दिखा अनुग्रहित किया तब वो बोले की सबसे सुक्षम कण से लेकर संपुर्ण ब्रमांड वही हैं. ईस सिध्दांत को आप आसानी से समझ सकते हैं अगर आपने रिकरसिव तकनीक को समझा हो. रिकरशन लगाएं सबसे छोटे कण पर तो ब्रमांड बना लेंगे कुछ प्रयोगात्मक छेङाछाङी से. नही तो फरेकटल तकनीक से सोच कर देखें और एक सरल शुरुआत के कणों को बार बार प्रयोग कर आप जटील कार्यप्रणाली बना लेंगे. इनहेरिटेंस से बेहतर तरीका है समझने का की सभी जीव मौलिक रुप में एक ही हैं बस बाह्य रुप में भिन्नता है. जैसे किसी भी ओबजेक्ट को आप निखार दें इनहेरिटेंस से. आखिर सृष्टि के चक्र को देखें तो हर स्तर पर एक चक्र पाएंगे जैसे कोई विशाल फाईनाीईट स्टेट मशीन चल रही है जिसके हिस्से स्वयं कई भिन्न फाईनाीईट स्टेट मशीन हो जिनका मूल हारमोनिक आपकी साँस समान किसी सिस्टम घङी से तालमय बना के चल रहा हो.
खैेर बहुत हुआ अचानक विचार स्पनदन मदिरापान के लिए यह देखें मेरी नई मारगरिटा रेसिपी
3 भाग टकीला
1/2 भाग ट्रीपल सेक
3 भाग नींबु का रस
1 भाग संतरे का रस
2 भाग स्टराबेरी का रस
1/2 चम्मच अनार का रस
शेक करें और छक कर पीयें.
1 Comments:
आइडिया तो सही है गुरु, बस करना ये कि कंही से ग्रेपफ़्रूट जूस का जुगाड़ करना और संतरे के जूस की जगह इसका प्रयोग करना। थोड़ा सा कसैलापन इस काकटेल को बहुत मदमस्त बना देगा। ना मानो तो ट्राई करो, और फ़िर बताना।
अब तुम्हारे ब्लाग मे फ़ूड एन्ड ड्रिंक का बोलबाला ज्यादा होता है, किसी बाटलिंग कम्पनी से स्पान्सरशिप की बात चलाओ,उम्मीद है बात बन जायेगी।
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