Thursday, September 15, 2005

कुछ खास नही

पिछले कुछ दिनों से कारपल टनल का असर रहा इसलिए कुछ ज्यादा चेपना का योग नही बना. अब जब हाथ का दर्द चला गया है तो दिल ने कचोटा की कुछ भौंकाच करी जाए. पिछले कुछ दिन द्रुत गति से बीते. कुछ नए काम का जोर रहा. मैने यहाँ पोलेटेकनिक में रात्रि कक्षा में पढाना चालु किया है, तो रफत में आने में वहाँ वक्त लगा. ईतने में कुछ जनमदिन बीत गए. पुरानी फिल्मों के चन्चल जीतेन्दर समान वयक्तित्व वाले जीतु भैया का जन्मदिवस बहुत बढिया बीता. सोचनेे विचारने में बहुत सारा समय गया. जो मुख्य विचार ईन दिनों मेरे दिमाग से गुजरे या जिनमें मुझसे सलाह मांगी गई वह हैं:
१)अमेरिका में अब ग्रीन कार्ड मिलने में बहुत समय लगने वाला है. औसतन ५-७ साल का समय लगने वाला है. ईस संदर्भ में कई मित्रों ने फोन पर अपनी भङास निकाली. हम ने सहानुभुति दिखाीई. कुछ ने देस पलायन के बारे में पूछा. हमने हामी भरी. कुछ ने यहाँ के सरकारी महकमें को भरकस गाली दी. हमने साथ निभाया. जो जैसा मिला हम उस रन्ग रन्गे. मन में तो यही सोचा की "जाके पांव न फटी बिवाई, सो का जाने पीर पराई". हमारी पत्नी जो हर रोज आ अब लौट चलें की एश्वर्या राय बनी रहती हैं उनहे जानकर बहुत दुख हुआ की हम पर कोई फरक नही पङने वाला है.
२) कैटरिना में बुश प्रशासन के निकम्मेपन ने सोचने पर मजबुर कर दिया की साला एक मच्छर पूरे देस को निकम्मा बना देता है.
३) आजकल पहाङी पर साईकिल चलाने का जोश है. गिर कर पहली बार महसुस हुआ की कुछ जरुरत से ज्यादा ईशटाईल मारी जा रही है. ईसलिए अब हैलमेट पहनना शुुरु कर दिया है.
४)हमने आजकल गणित पढना शुरु किया है. केलकुलस, स्टेटिसटिक्स और परोबेबिलिटि. जम कर गणित पढा जा रहा है. मन बार - २ भाग कर स्कुल के दिनों में चला जाता है. अगर अपने बचपन के दिन याद करने हों तो ऐसा कुछ करिए. खैर नोस्टालजिया से अपना कभी रिश्ता रहा नही है. परिवर्तन जीवन का नीयम है. काल - जगह (सपेस टाीईम ) के चौकोनी आयाम में से कुछ कभी वापस नही आया पर यह गीत क्या मालुुम कैसे आ गया.
"यादें भीगी यादें,
तुमको, मिटने ना दें.
देखा जो हाथ बढा के,
सपनो के रेश्मी धागे,
झूटे लगे रिश्ते टूटे लगे."

1 Comments:

Blogger मिर्ची सेठ said...

मिंया कारपल टनल क्या होवे है। कुछ बिमारी सी लागे है। कुछ अपने सुधी पाठकों की सुध लेते हुए एक लेख इस पर तो बताओ। कौन औषधि लेने से टनल से टना टन हुए इ ज्ञान देकर कृतार्थ करो।

1:45 PM  

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