Sunday, August 28, 2005

आलु से कैन्सर

आज अखबार में पङे की आलु आदि स्टार्च वाले खाने को तेज आँच पर पकाने से कैन्सर कराने वाले तत्व का निर्माण होता है. मलतब बज गई अपनी १२. वो के ही की भैये बचपन से अब तक कमसकम १०-१२ हजार आलु के पराठे तो मैने खा ही लिए होन्गे. आलु-बङे, चिप्स, आलु की सब्जी मिला के पक्के मैने अपने वजन से ज्यादा आलु तो खा ही लिया होगा. मलतब बन गया मैं तो आन्नद फिल्म का बाबु मोशाय बोलने वाला राजेश खन्ना अगर इन मरदुुद खोजबीन करने वालों का. वैसे चुँकी मैने भी सरकारी खर्चे पर रिसर्च करी है तो भईये मजबुरी समझता हुँ, कुछ तो खबर बनानी पङेगी नही तो क्या बोलेन्गे रिसर्चरस , ५-६ साल बैठ कर क्या किये, बस आलु तले सरकारी खर्चे पर. भईया कुछ छोटी - मोटी बिमारी सोचते, सीधे स्टीकर शाक दितां कैन्सर का !
खैेर सारे आलु के व्यापारी सकते में हैं, कैलिफोर्निया सरकार ने मुकदमा जो ठोन्क दिया है. माना कैलिफोर्निया कन्गाली का मुँह देख रहा है पर अरनाल्ड का आलु ने क्या बिगाङा था. भईया मोरे ईतने विनयार्ड हैं उनमें कुछ खोज लाते. एक हम ही बता देते है. विनयार्ड की आला दर्जे की वाईन पी कर लोग गाङियाँ चला रहै हैं और दुरघटनाए बढ रही हैं. दावा ठोन्का जाए तुरन्त. मेरे प्यारे आलु को बख्शो.

2 Comments:

Blogger eSwami said...

अमां खां उल्टी-सीधी मत कहो केन्सर हो तुम्हारे दुश्मनों को! और ज्यादा डर लग रिया है मियां तो अपनी बेगम साहिबा को खबर पढवाओ और परांठे के बजाए चिकन बिरयानी बनवाओ!

3:20 PM  
Blogger अनूप शुक्ल said...

चिन्ता न करो.किसी दूसरे अखबार में खबर छ्प
रही होगी कि यह खतरा २० साल से नीचे वालों
तथा ७५ से ऊपर वालों के लिये है.

7:07 PM  

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