खिचङी
लो आज फिर हम आ टपके
रोजमर्रा की बाते कहेंगे कुछ हटके
देश विदेश की खबरों के पुलिन्दे में
खााऐंगे चने जाहे जबान पर लगें चटके
बातें करें कुछ देश महान की
केतरिना के प्रलय कान्ड की
बहते सङते अवशेषों से शहर भरे
उनमें सहारा तलाशते अश्वेत ईन्सान की
बात करें कुछ नवाबी शान की
शिशु हिरण के रक्तपान की
कानुन मर्यादा की पहुँच से परे
बुढे शेेर के शाही खानदान की
बात करें मेरे भारत महान की
ईटली से लाईं हुक्मरान की,
सत्ता कुन्जी को अपने दामन में धरे,
देश चला रही बहू फिरोज खान की.
तो आज फिर हम आ टपके,
चाहे हमने लगाने कुछ नए झटके,
'नकी'और 'के'की खिचङी बना काली
पतली गली से झटपट सटके.
रोजमर्रा की बाते कहेंगे कुछ हटके
देश विदेश की खबरों के पुलिन्दे में
खााऐंगे चने जाहे जबान पर लगें चटके
बातें करें कुछ देश महान की
केतरिना के प्रलय कान्ड की
बहते सङते अवशेषों से शहर भरे
उनमें सहारा तलाशते अश्वेत ईन्सान की
बात करें कुछ नवाबी शान की
शिशु हिरण के रक्तपान की
कानुन मर्यादा की पहुँच से परे
बुढे शेेर के शाही खानदान की
बात करें मेरे भारत महान की
ईटली से लाईं हुक्मरान की,
सत्ता कुन्जी को अपने दामन में धरे,
देश चला रही बहू फिरोज खान की.
तो आज फिर हम आ टपके,
चाहे हमने लगाने कुछ नए झटके,
'नकी'और 'के'की खिचङी बना काली
पतली गली से झटपट सटके.
8 Comments:
तुम तो कवि भी हो गये वाह्!
अच्छा लिखा है, कालीचरण जी।
लक्ष्मीनारायण
कविता जानदार है ।
लेकिन "देश चला रही बहू फिरोज खान की " के बारे में कोई बतायेगा ?
(यहाँ हमारा सामान्य ज्ञान धोखा दे रहा है।)
-राजेश
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वाह भाई ..... बहुत बढिया। लेकिन राजेश जी वाली समस्या हमारी भी है, ज़रा स्पष्ट करें।
कविता अच्छी है लेकिन राजेश भाई वाला तो प्रश्न हमारा भी है !
शायद यहाँ कालीचरण जी का मतलब फिरोज गाँधी(खान)की बहू सोनिया गाँधी से है.....
जरा गुगल मारिए फिरोज गाँधी पर. जनाब का असली नाम फिरोज खान था.
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