काफी दिनो बाद
काफी दिनो बाद चेपने का मौका मिला है. क्या करें कर्म करने पर तो हमारा हक है, हरामखोरी तो प्रभु की दया से नसीब होती है. तो हम्माली चालू थी पूरे जोर शोर से. बचपन में समझदार प्राणी कहा करते थे बेटे लाल पी एच डी कर ले नही तो घनघोर मेहनत करेगा. अब सोचते हैं कर ही ली जाए.
पिछले कुछ दिनों की मजेदार बातें.
१) एक अभिन्न मित्र पत्नी वियोग (मालकिन की भारत यात्रा) से त्रस्त होकर वेगास गए. हमने सारा कच्चा चिठ्ठा खोल दिया मैडम के लौटने पर. क्या करें दोनो बहुत शेर बन रहे थे. "जी बोलिए, हमने ईनहे पूरी छूट दे रखी है." ईस पर तो हम नारी का मन कौन जाना टाीईप सोच से चुप भी रह जाते. पर जब मित्र भी शेर होने लगे की "बोल दो यार कोई डरते थोडे ही हैं" तो हमने कच्चा चिट्टा खोल ही दिया. वहाँ मित्र ने सुन्दर-२ नारीयों के ना जाने कहाँ-२ नोट अटकाए थे. पर अब तो प्राय: उनके नाक में नकेल डली रहती है.
२) हमारे सर पर यकायक व्यायाम का जूनून छाया. हमने ताबडतोड तरीके से मेहनत चालू कर दी है. कसम से जोड-२ टूट रिया है. १ महीना कोशिश करेंगे सच्चीौ लगन से. कुृछ जमा तो ठीक नही तो वापस पूर्णविराम. कसम से लपक के भुख लगती है मेहनत कर के. हाल यह है की दिन में ४-५ बार खाना चालु है.
३) सारे अमेरिकीजन की कुछ समय पहले प्रिय ऐटकिन ने कन्गाली / कुर्की घोषित कर दी है.
४) डबया ने मनमानी करते हुए जान बाॅलटन को यु.एन. में स्थापित कर दिया है.
५) साफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत का हिस्सा अभी भी नगण्य १ - २ प्रतिशत ही है.
६) आजकल हम मोझिला के यु.आई फरेमवर्क से खेल रहे हैं. बहुत बेहतरीन है.
७) राखी का समय आ गया है. कालेज के दिनों में बस ईसी दिन का डर रहता था.
८) आज का दिन जरूर कुृृछ गडबड है. फिनिक्स जैसे मरूस्थल में घनघोर बरसात हो रही है.
९) आई ऐम वेरी मैड एट बोम्बे फ्लड. जहाँ मन में पहले बरसात - देस - बाम्बे - हिरोईनस ईन वेट सारी टाीीईप थाॉॅट प्रोसेस चलती थी अब बरसात - देस -बाम्बे - ७०० मृत टाीईप की खोपडी चलती है.
अनुप जी ने जो अमेरीका में कैरियर के पैमाने में जो रूचि दिखाीीई है तो लगता है जल्दी ही भौंकाच करना ही पडेगा.
पिछले कुछ दिनों की मजेदार बातें.
१) एक अभिन्न मित्र पत्नी वियोग (मालकिन की भारत यात्रा) से त्रस्त होकर वेगास गए. हमने सारा कच्चा चिठ्ठा खोल दिया मैडम के लौटने पर. क्या करें दोनो बहुत शेर बन रहे थे. "जी बोलिए, हमने ईनहे पूरी छूट दे रखी है." ईस पर तो हम नारी का मन कौन जाना टाीईप सोच से चुप भी रह जाते. पर जब मित्र भी शेर होने लगे की "बोल दो यार कोई डरते थोडे ही हैं" तो हमने कच्चा चिट्टा खोल ही दिया. वहाँ मित्र ने सुन्दर-२ नारीयों के ना जाने कहाँ-२ नोट अटकाए थे. पर अब तो प्राय: उनके नाक में नकेल डली रहती है.
२) हमारे सर पर यकायक व्यायाम का जूनून छाया. हमने ताबडतोड तरीके से मेहनत चालू कर दी है. कसम से जोड-२ टूट रिया है. १ महीना कोशिश करेंगे सच्चीौ लगन से. कुृछ जमा तो ठीक नही तो वापस पूर्णविराम. कसम से लपक के भुख लगती है मेहनत कर के. हाल यह है की दिन में ४-५ बार खाना चालु है.
३) सारे अमेरिकीजन की कुछ समय पहले प्रिय ऐटकिन ने कन्गाली / कुर्की घोषित कर दी है.
४) डबया ने मनमानी करते हुए जान बाॅलटन को यु.एन. में स्थापित कर दिया है.
५) साफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत का हिस्सा अभी भी नगण्य १ - २ प्रतिशत ही है.
६) आजकल हम मोझिला के यु.आई फरेमवर्क से खेल रहे हैं. बहुत बेहतरीन है.
७) राखी का समय आ गया है. कालेज के दिनों में बस ईसी दिन का डर रहता था.
८) आज का दिन जरूर कुृृछ गडबड है. फिनिक्स जैसे मरूस्थल में घनघोर बरसात हो रही है.
९) आई ऐम वेरी मैड एट बोम्बे फ्लड. जहाँ मन में पहले बरसात - देस - बाम्बे - हिरोईनस ईन वेट सारी टाीीईप थाॉॅट प्रोसेस चलती थी अब बरसात - देस -बाम्बे - ७०० मृत टाीईप की खोपडी चलती है.
अनुप जी ने जो अमेरीका में कैरियर के पैमाने में जो रूचि दिखाीीई है तो लगता है जल्दी ही भौंकाच करना ही पडेगा.
5 Comments:
कितने दिनों तक आपके द्वार तक आ के निराश लौटना पड़ा, अब कुछ नया मिला है। बढ़िया है।
व्यायाम हमने भी शुरू कर दिया है, पिछले तीन दिन से रोज एक घण्टा टहल रहा हूँ।
शुभकामनाएँ।
कसरत तो कम भी करते हैं। सबसे बढ़िया कसरत है-सबेरे जल्दी उठना फिर करवट बदलकर सो जाना।
"भौंकाच" यह क्या होता है?
माफ किजिऐगा आलोक जी और अनूप जी नाम अनूप जी का लिख दिया जबकी टिप्पणी आलोक जी की थी.
अतुल सेठ भौंकाच = भौंक + ऊवाच. कुछ ऐसा जिसमें कुत्ते के भौंकने समान हल्ला और दमखम हो तथा कुछ पढने लायक सामग्री भी हो.
बाऊजी, अगली पोस्ट कब लिखोगे?
जरा जल्दी जल्दी कीबोर्ड पर हाथ रखा करो.
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