शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में
आठवी अनुगूँजः शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में
समय बदला, छात्र बदले
बदली अब की शिक्षा
डफर छात्र बन गऐ नेता
टाँपर मांगे भिक्षा
ना रहे वह गुरुकुल
ना रहे वह विद्यार्थी
अब तो विद्यार्थी उठा रहे
विद्या की अर्थी
शिक्षा की बदहाली देखो
हर बच्चा बना है तोता
डाल्टन से लेकर मार्कस को
मार्च में जमकर घोंटा
किसी तरह परीक्षा की घङी बिताई,
अप्रेल मे जमकर अटकलें लगाई
मई में जब परिणाम निकले
१० २० ने अपनी जान गवाँई
गिने चुने बने ईन्जीनियर
उनने सिखी जावा
कालेज से बाहर निकल
सीधा अमेरिका पर धावा
विदेश में बैठकर भारत के चिन्तक बन जाते
सुबह शाम दिन रात हम ब्लाग चिपाते
शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष्य में
अब और क्या कहें भईया
संस्कार, मूल्य रखे ताक पर
क्योंकि सबसे बडा रुपैया
3 Comments:
बहुत खूब जनाब। आपकी कविता तो छा गयी।
वाह वाह! क्या बात है,
यार जो बात हम लोग पन्ने भर भर कर कह रहे थे, तुमने छोटी सी कविता मे कह दिया,
इसे कहते है सौ सुनार की एक लोहार की,
मजा आ गया, बहुत सुन्दर कविता है, बहुत बहुत बधाई.
jay kali , jay he bhopali
tera vachan na jaaye khali
Theluwa
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