Saturday, November 12, 2005

मोटापा

सुनील जी के लेख ने दोबारा सोचने पर मजबुर कर दिया. अमेरिका में खास तौर पर, पर संपूर्ण आधुनिक समाज में फैशन की जो होङ है, उसमें क्यों दुबली-सिकङी कुपोाषित महिलाओं का प्रचलन है यह समझने की में कोशिश कर रहा हुँ. देखा जाए तो मानव शरीर में मोटापे की वजह है की हमारा शरीर जब भरपुर खुराक मिलती है तो आने वाले समय के लिए जमा कर लेता है, कि आगे सूखा, अकाल पङ जाए, खाना ना मिले तो भर लो आज. अगर यही सोच आगे बढाई जाए तो पाएंगे की कमर से चौङी महिलाओं को बच्चों की पैदाईश आसान होती है. आज के जमाने में ईसका कोई महत्व नही है, पर पहले ईसका महत्व होना लाजमी है. कुछ एक प्राचीौन सभ्यताओं के जो चित्र पत्थरों पर पाए गए हैं उसमें तो मोटी - २ महिलाएं हैं. मेरे ख्याल से यह सब किया धरा है फैशन डिजाईनरस ने. क्या है की पतली किकङी महिलाोौौोौओं पर शायद ज्यादा तरह के कपङे लपेटे जा सकते हैं. दुसरी वजह शायद समलैंगिक पुरुष डिजानरस की मानसिकता भी कहीं हो सकती है. हो सकता है की आधुनिक समाज में मोटापे से जुङी बिमारियों की वजह से या फिर दौङ भाग के जीवन में चुस्ती फुर्ती की जरुरत रहती है बजाए बच्चे पैदा करने के ईसलिए दुबलेपन का फैशन है.
वजह जो भी हो कसम से दया सी आ जाती है उनपर जो हैं बेचारी डबल पर लगी हैं जिम में या दौङ रही हैं या फिर अनाप सनाप खा रही हैं दवाईयां दुबलेपन की. कई लोग तो अपने पेट में टाँके लगवाकर पेट काट लेते हैं जिससे भूख कम लगे. जबरदस्त बिलियन डालर ईन्डस्ट्री रही मोटापा भगाने की. मेरे कुछ मित्र भी जो अविवाहित है खास तौर पर ईसी चक्कर में लगे हैं. वैसे अमेरिका में सभी भारतीय जनता का अकसर वजन बढ जाता है. कुछ आलसीपने की वजह से, कुछ बीयर पिज्जा खाने से और कुछ तो यहाँ पर मिलते हाईब्रीड खाने से जिसमें जानवरों को जम कर जलदी वजन बढाने के हारमोन दिए जाते है. तो बेचारे तीस की उम्र के पहले ही मोटे और नौकरी,वीसा के चक्कर में गंजे हो रहे हैं. भारत की लङकी भी अब गैया नही रही. स्मार्ट पति की चाह में कुछ मित्रों को मना भी कर चुकीं हैं. बेचारों पर दया सी आ जाती है. देख कर लगता है की ४ बेटियों का गरीब बाप भी ईस हालत में तो नही होगा.
वैसे सुनील जी से सूझा की मेरी बढी ईच्छा है कुछ समय युरोप में बिताने की. भारत, अमेरिका , सिंगापुर तो रह लिया. अब पश्चिम युरोप और आस्ट्रेलिया रहना है कुछ वर्ष. क्या वहाँ सोफ्टवेयर में साल भर के प्रोजेक्ट मिल सकते हैं. कुछ मिले तो सही है, साल भर के लिए युरोप में रह लुँगा ईसी बहाने.

2 Comments:

Blogger Jitendra Chaudhary said...

अब मोटापे पर तो मै ज्यादा कुछ नही कह सकता, क्योंकि मै भी इसी श्रेणी मे आता हूँ, डाक्टर,पत्नी और हर दोस्त यार, बैठे बिठाये, मोटापा घटाने के सुझाव देता रहता है।सोचता हूँ, इतने सुझाव मिल चुके है, एक किताब ही क्यों ना लिख दूँ।

रही बात यूरोप की, तो भैया, सही सोच रहे हो, यूरोप घूमने का सबसे अच्छा तरीका है, मध्य यूरोप मे कोई साफ़्टवेयर का काम पकड़ लो। हर वीकेन्ड मे निकल पड़ो, किसी भी दिशा में।काम का काम और मौज की मौज।

10:36 PM  
Blogger अनूप शुक्ल said...

बढ़िया लेख है। इसके पहले हंसी वाले लेख की तारीफ भी इसी में ले लो। ये जो समलैंगिक पुरुष डिजानरस की मानसिकता है उसके बारे में कुछ और रोशनी डाली जाये काली भाई।

6:05 PM  

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